किसी भी बीमारी के इलाज व बचाव के बारे में जानने से पहले उसके बारे में विश्वसनीय स्रोतों से मौलिक जानकारी होना आवश्यक है. हाइपरटेंशन के सन्दर्भ में सबसे पहले यह समझें कि यह केवल अपने आप में एक समस्या नहीं है. आम भाषा में कहें तो हाइपरटेंशन या तो शरीर में चल रही अन्य गड़बड़ियों का नतीजा होता है या फिर हाइपरटेंशन की वजह से शरीर में अन्य कई तरह की समस्याएं जन्म लेने लगतीं हैं. इसलिए हाइपरटेंशन को केवल रक्तचाप के सामान्य से अधिक बढ़ जाने तक सीमित न समझें, इसके व्यापक असर होते हैं. दरअसर हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है जिसके तहत व्यक्ति रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है, और रक्त वाहिकाओं में अत्यधिक तेज़ गति से चलने वाला रक्त हाइपरटेंशन का शरीर के विभिन्न अंगों पर असर पड़ता है, और यह किस तरह से उनको प्रभावित करता है यह कुछ इस प्रकार है:

हृदय: हाइपरटेंशन से जूझ रहे लोगों को सीधे हृदयाघात का जोखिम होता है. हृदय पूरे शरीर में शुद्ध रक्त पंप करता है और हाइपरटेंशन की स्थिति में रक्त वाहिकाओं में तेज़ गति से चलने वाला रक्त हृदय की रक्त्कोशिकय्काओ पर खराब असर डालता है और हृदय कि मांसपेशियों पर दबाव बढ़ा देता है, जिससे हृदयगति कि अनियमितता और हृदयाघात का जोखिम बढ़ जाता है.

किडनी: लगातार ब्लड प्रेशर बढ़ा रहने से पेशाब के साथ प्रोटीन भी निकलने लगता है, ध्यान नहीं देने पर समय के साथ यह बढ़ सकता है और किडनी की नेफ्रोन्स को डैमेज करने की क्षमता रखता है. अगर बीपी को नियंत्रित न किया जाए तो किडनी भी ख़राब हो सकती हैं, और डायलिसिस की ज़रूरत भी पड़ सकती है. हाई बीपी क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ का एक प्रमुख कारण है.

रेटिना या नज़र: हाइपरटेंशन से जूझ रहे लोग अक्सर तरह तरह के दृष्टिदोष से परेशान रहते हैं या आँखों में धुंधलेपन की शिकायत करते हैं. साथ ही रेटिना में नज़र आने वाली रक्त कोशिकाओं के फटने का जोखिम होता है.  

मस्तिष्क: हाइपरटेंशन के मस्तिष्क पर होने वाले असर अक्सर प्रत्यक्ष नहीं होते. इसलिए यदि हाइपरटेंशन से जूझ रहे हैं तो रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि हाइपरटेंशन का मस्तिष्क पर असर की बात करें तो स्ट्रोक का जोखिम होता है, जो एक इमरजेंसी की स्थिति है. बहुत मुमकिन है कि इसका कोई शुरुवाई लक्षण न दिखाई दे, इसलिए सचेत रहें व डॉक्टर की सलाह पर ही अमल करें.

रक्त वाहिकाएं: रक्त वाहिकाओं में तेज़ गति से चलता रक्त निश्चित रूप से उन्हें डैमेज कर सकता है, ऐसे में रक्त कोशिकाओं के अंदरूनी परत में अतिरिक्त प्रेशर पड़ने से क्लॉट बनने का जोखिम रहता है.

बचाव के उपाय: उपरोक्त के अनुसार बात करें तो बहुत से मामलों में हाइपरटेंशन से शरीर के अंगों के प्रभावित होने के प्रत्यक्ष लक्षण नज़र नहीं आएंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि यदि हाइपरटेंशन से कोई एक अंग प्रभावित हो रहा हो उस अंग को बचाने के लिए तो क्या उपचार करें, क्योंकि इस केस में आपको हाइपरटेंशन का ही पूरा इलाज लेना होगा और वही कारगर होगा. ऐसे में यदि आपको या आपके परिवार में कोई हाइपरटेंशन से प्रभावित है तो उचित उपायों द्वारा बीपी सामान्य बनाए रखने का प्रयास करें जैसे:

  • तेज़ नामक या तेज़ मसालों का सेवन न करें
  • शरीर का वजन नियंत्रित करें, मोटापे से बचें
  • धूम्रपान व नशे की लत से बचें
  • तनाव से बचें, मानसिक स्वास्थ्य को तवज्जो दें
  • हृदय या किडनी से सम्बंधित यदि कोई समस्या हो तो उसपर डॉक्टर की सलाह से काम करें
  • थाइराइड से यदि जूझ रहे हैं उचित उपचार लें
  • नींद में कटौती न करें उचित समय अवधि के लिए सोयें.
  • सबसे बड़ी बात, अपने रक्तचाप की नियमित जांच करें, किसी भी लक्षण को नज़रंदाज़ न करें और डॉक्टर से ही परामर्श लेकर इलाज व बचाव की दिशा तय करें.