Lyme Disease: जानिए लाइम बीमारी के लक्षण और कारण जिससे सुपरमॉडल बेला हदीद पिछले 15 सालों से पीड़ित हैं


डॉ. स्फूर्ति मान, हेड ऑफ द डिपार्टमेंट एंड सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन एंड डायबिटोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स


सबसे पहले यह समझें कि लाइम बीमारी मूल रूप से अमेरिका और कनाडा के इलाकों में होने वाली बीमारी है, भारतीय प्रांत में इसे नहीं देखा जाता. लाइम बीमारी दरअसल एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो बोरेलिया बर्गडोरफेरी के कारण होता है. संक्रमित टिक्स के काटने से यह बैक्टीरिया मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है और रक्त वाहिकाओं में पहुँच कर एक प्रकार की सूजन विकसित करने लगता है जिसके कारण शरीर के अलग-अलग अंग, जोड़, त्वचा, यहाँ तक कि तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने लगते हैं. इसके शुरुवाती लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

• बुखार
• कंपकंपी
• थकान
• मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द
• सरदर्द


यदि उचित समय पर इलाज न हो तो उपरोक्त लक्षण गंभीर हो सकते हैं. ऐसे में बहुत तेज़ सरदर्द, शरीर में त्वचा पर जगह जगह चकत्ते, जोड़ों में सूजन व दर्द के साथ आर्थराइटिस (ख़ासकर घुटनों में), चेहरे के दोनों हिस्सों का लटकना, अनियमित हृदयगति, हाथों पैरों का सुन्न होना या उनमें बहुत तेज़ दर्द होना आदि जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. साथ ही मरीज़ को न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो सकती है और दृष्टिदोष भी हो सकता है.


इस स्थिति की लक्षणों के आधार पर जांच की जाती है, साथ ही यह देखा जाता है कि व्यक्ति को किसी कीड़े ने काटा हो जो संक्रमित हो. इसके अलावा संबंधित डॉक्टर रक्त की जांच कर सकते हैं और इसकी ख़ासियत यह भी है कि बिल्कुल शुरुवाती दिनों में इसका परिणाम नेगटिव आने की भी सम्भावना होती है क्योंकि यह वह समय होता है जब शरीर एंटीबॉडीज़ विकसित कर रहा होता है. इसलिए इसका सही-सही परिणाम मिलने में 4 से 6 हफ़्तों का समय लग सकता है.


तकरीबन 10 फ़ीसदी लोगों में लाइम बीमारी का इलाज पूरी नहीं होता, क्योंकि इस रोग से संबंधित जटिलताएं लंबे समय तक रह सकतीं हैं. ऐसे में लक्षणों के आधार पर इसे मैनेज किया जा सकता है.