*डॉक्टर स्फूर्ति मान, हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट एंड सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन एंड डायबिटोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम*

निश्चित रूप से जीवनशैली में उचित बदलाव करके डायबिटीज को बेहतर मैनेज किया जा सकता है लेकिन टाइप 1 डायबिटीज (इंसुलीन की अत्याधिक कमी के कारण हुई) को ठीक नहीं किया जा सकता, जबकि टाइप 2 डायबिटीज को बहुत से मामलों ठीक किया जा सकता है. इसी क्रम में कुछ टिप्स हैं जिन्हें डायबिटीज के मरीज़ अपना सकते हैं और अपनी डायबिटीज मैनेज कर सकते हैं, लेकिन याद रखें हरेक डायबिटीज के मरीज़ की रोग की गंभीरता व ज़रूरतें अलग हो सकतीं हैं इसलिए सम्बंधित डॉक्टर की सलाह पर किसी भी टिप्स को अमल में लायें:

·         घर में बना भोजन: डायबिटीज के मामले में सही भोजन का चुनाव सबसे अहम् है. बाहर का अस्वस्थ तला भुना खाने के बजाय घर में बनाकर खाने की कोशिश करें, क्योंकि इस तरह अपने स्वास्थ्य के अनुसार पोषण सुनिश्चित करना अधिक आसान होता है.

·         रिफाइंड आटे की बजाय लें होल व्हीट आटा: अत्यधिक रिफाइंड आटे या मैदे से बनी ब्रेड का सेवन करने की बजाय ओट्स बार्ले आदि जैसे अनाज को तरजीह दें. सादे भोजन को अधिक तवज्जो दें.

·         फाइबर का सेवन: अपने भोजन में प्रति मील 8 ग्राम फाइबर की मात्रा सुनिश्चित करें, ख़ासकर तब जब आपके भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक हो, इस प्रकार ब्लड शुगर मैनेज करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह आपके हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. इनमें मटर, बीन्स, ओट्स, बार्ले आदि शामिल हैं, और यदि फलों की यदि बात करें सेब, नाशपाती, बेरीज़, और सब्ज़ियों में शकरकंद, ब्रोकली, गाजर, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, मशरूम आदि शामिल हैं.

·         हेल्दी फैट का सेवन: गुड फैट मोनोसैचुरेटेड का सेवन किया जा सकता है जिसमें नट्स, एवाकाडो, ओलिव ऑइल, आदि शामिल हैं जिनकी मदद से ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद मिलती है. अत्याधिक कैलोरी का सेवन करने से बचें.

·         इंटरमिटेंट फास्टिंग: अपने संबंधित डॉक्टर की सलाह पर इंटरमिटेंट फास्टिंग एक अच्छा कदम हो सकता है जिसके ज़रिये भोजन की मात्रा और समय अवधि को नियंत्रित किया जा सकता है.

·         नियमित व्यायाम: कम से कम 150 मिनट प्रति सप्ताह व्यायाम करें. इसमें आप 10-10 मिनट की ब्रिस्क वॉकिंग दिन में तीन बार कर सकते हैं यदि एक में व्यायाम को पूरा एक घंटा देना मुश्किल हो रहा हो तो.

·         मसल स्ट्रेंथनिंग ट्रेनिंग: डॉक्टर की सलाह पर एक ट्रेनर की मदद से मसल ट्रेनिंग बहुत लाभदायक साबित हो सकती है, क्योंकि इसके साथ इन्सुलिन रेसिस्टेंस और वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

·         मानसिक स्वास्थ्य को दें तवज्जो: इसमें कोई दोराय नहीं कि स्ट्रेस लेवल का आपके रक्तचाप और शुगर लेवल पर सीधे असर पड़ सकता है. इसलिए अपने निजी जीवन में अपने ट्रिगर्स को पहचाने, यदि ज़रूरत पड़े तो किसी मनोचिकित्सक की भी सलाह लें.

·         उचित मात्रा में नींद लें: सक्रिय जीवनशैली के साथ साथ ज़रूरी है कि आप अपनी नींद भी पूरी लें, क्योंकि दिन में 7 से 8 घंटे की नींद से स्ट्रेस लेवल कम करने, पाचन को दुरुस्त करने और ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.

·         वजन को नियंत्रित करें: खान पान व्यायाम समेत एक सम्पूर्ण जीवनशैली का निर्माण करें जिससे वजन को नियंत्रण में रखने में मदद मिले. याद रखें 5 से 10% वजन में कमी से भी इन्सुलिन रेसिस्टेंस घटाने में मदद मिलती है.

·         अल्कोहल व कार्बोनेटेड ड्रिंक से पूरी तरह दूरी: कोला व सॉफ्ट ड्रिंक से पूरी तरह दूरी बना लें, इसके साथ ही अल्कोहल का सेवन भी न करें.

उपरोक्त बताये गए टिप्स के साथ लगातार नियमित रहने पर ही परिणाम नज़र आयेंगे इसलिए लगातार इनका पालन करें.